मूड बिगाड़े तन की दुर्गंध
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
विपिन आज बहुत ही रोमांटिक मूड में था। वह बैडरूम में लेटा पत्नी रश्मि का बेताबी से इंतजार कर रहा था। वह अंगरेजी फिल्म देख कर आया था। उस में नायक-नायिका के कई अंतरंग दृश्य थे। नायिका का निर्वस्त्र और गुदाज बदन उस के मन में बसा था। वह आज की रात ठीक फिल्म के नायक की तरह रश्मि से प्यार करना चाहता था। वह उसे पाने के लिए बहुत ही बेकरार था। रश्मि उस की भावनाओं से अनजान आराम से किचन का काम निबटा कर बैडरूम में आई। विपिन की आतुरता चरम पर थी। लेकिन जैसे ही उस ने रश्मि को अपने आलिंगन में लिया, उस का मूड औफ हो गया। रश्मि के शरीर से न जाने कैसी दुर्गंध आ रही थी। वह अपनी पढ़ीलिखी पत्नी की इस फूहड़ता पर झुंझला कर रह गया। किसी तरह अपने तन की प्यास बुझा कर वह जल्दी से रश्मि से अलग हो गया। पर उस का मन प्यासा ही बना रहा। जीवनसाथी के शरीर से उठती दुर्गंध के कई कारण हो सकते हैं। इस से उन की सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है एवं दांपत्य जीवन में उदासीनता रहने लगती है। आप को अपने शरीर से उठती दुर्गंध के कारण को समझना बहुत जरूरी है। आइए, इन कारणों को समझने की कोशिश करते हैं।
प्यार में बाधक सांस की दुर्गंध
अधिकतर लोगों की सांस से दुर्गंध आती है। हर समय पानतंबाकू खाते रहना, शराब, लहसुन, प्याज आदि दुर्गंधयुक्त वस्तुओं का अधिक सेवन करना, पायरिया रोग, दांतों में कीड़ा लगना, दांतों में मवाद पड़ना, मुंह में मवादयुक्त छाले या फंगस संक्रमण, ठीक से दांतों की सफाई न करना, मुख या आंतों का कैंसर, नाक बंद होना या जुकाम बने रहना, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, खांसी आदि श्वसन तंत्र की कोई बीमारी होना, फेफड़ों में बलगम या पानी भर जाना, लार ग्रंथियों में संक्रमण होना, पेप्टिक अल्सर की बीमारी होना, पाचन क्रिया ठीक न होना, खट्टी डकारें आना, कब्ज रहना, टौंसिल में सूजन या टौंसिल का पकना आदि में से एक या कई इस के कारण हो सकते हैं।
सांस की दुर्गंध से नजात पाने के लिए इस के मूल कारण का निवारण जरूरी है। तंबाकू, गुटका, सुपारी, सिगरेट, बीड़ी, शराब आदि छोड़ देना ही ठीक है। वैसे भी ये सब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। ठीक ढंग से दांतों की सफाई करना जरूरी है। खाना खाने के बाद हमें दोनों समय दांतों को ठीक तरह से ब्रश करना चाहिए वरना दांतों में फंसे अन्नकण मुंह में सड़न पैदा करेंगे। इस से सांस में दुर्गंध तो आएगी ही, साथ ही दांत भी जल्दी खराब होंगे। पायरिया या दांतों में दर्द होने पर दंतरोग चिकित्सक से परामर्श लें। दांतों पर पीलीपीली मैल की पर्त, जिसे टार्टर कहते हैं, भी सांसों की दुर्गंध का कारण हो सकती है। ऐसे में दांतों की सफाई करवा लेने से राहत मिलती है। मुंह के छालों से बचने के लिए पाचनक्रिया दुरुस्त रखें। पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, चोकरयुक्त आटे की रोटियां व सलाद नियमित लें। टौंसिलाइटिस, श्वसन या पाचनतंत्र से संबंधित रोग या मधुमेह होने पर ठीक से उपचार करवाएं। सांसों की दुर्गंध से राहत पाने के लिए पिपरमैंट, च्युंगम, लौंग, छोटी इलायची आदि लें। खाने के बाद माउथवाश से कुल्ला करें। प्याज, लहसुन खाने के बाद ठीक से ब्रश करें, पानी खूब पिएं, इस से भी कुछ हद तक सांसों की दुर्गंध से राहत पाई जा सकती है।
वेजाइनल दुर्गंध
योनि में होने वाले अस्वाभाविक स्रावों के कारण उस हिस्से में दुर्गंध आने लगती है। ऐसा बैक्टीरिया या फंगल इन्फैक्शन के कारण होता है। ठीक से साफ-सफाई न रखने एवं अस्वच्छ अंतःवस्त्रों के पहने रहने व माहवारी के दौरान गंदे कपड़ों के प्रयोग से भी इन्फैक्शन की संभावना बढ़ जाती है। मधुमेह रोग से पीड़ित महिलाएं अकसर कैंडिडा नामक इन्फैक्शन से ग्रस्त रहती हैं। इस से भी योनिस्राव में दुर्गंध बनी रह सकती है। बैक्टीरियल वेजीनोसिस महिलाओं को सब से ज्यादा होने वाला वैजाइनल इन्फैक्शन है। इस की वजह से सैक्स के बाद मछली जैसी दुर्गंध आती है। मेनोपोज के समय महिलाओं के हार्मोंस में तेजी से बदलाव आने के कारण भी वैजाइनल इन्फैक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। योनि से होने वाले गंदे व दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज को कभी अनदेखा न करें। यह सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है। किसी भी तरह का वैजाइनल इन्फैक्शन होने पर गाइनोकोलौजिस्ट से अवश्य मिलें। उस की राय ले कर ऐंटीबैक्टीरियल या ऐंटीफंगल दवाओं का पूरा कोर्स करें। तभी योनि से आने वाली दुर्गंध से राहत मिल सकती है।
पसीने की दुर्गंध
जरूरत से अधिक पसीना निकलने से भी हमारे शरीर से दुर्गंध आने लगती है। अधिक पसीना हमारे अंतःवस्त्रों को बदनुमा बनाने के साथसाथ खाजखुजली, घमौरियां जैसे अनेक त्वचा रोगों का कारण बनता है। विशेषकर गरमी के मौसम में चाय, कौफी, मिर्च, खटाई, तली हुई वस्तुएं, मीट, मछली, गरम मसाले आदि के सेवन से पसीना अधिक आता है। शरीर की इस नैसर्गिक प्रक्रिया को रोका तो नहीं जा सकता है पर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। अधिक पसीना आने पर नीबूपानी, मट्ठा, शरबत, शिकंजी, रसीले फल, खीरा, ककड़ी, तरबूज आदि का सेवन करना चाहिए। धूप में घर से बाहर निकलते समय छाता लगा कर निकलें। लेटनेबैठने के कमरे में कूलर या एअरकंडीशनर लगवाएं। गरमी में सुबहशाम नहाने से पसीने की दुर्गंध से राहत मिलती है। पसीने की बदबू से बचने के लिए नहाने के पानी में डिटौल, सेवलौन, गुलाबजल, टौयलेट सौल्ट या इत्र आदि मिलाएं। नहाने के बाद शरीर को ठीक से पोंछ कर सुगंधित टैलकम पाउडर लगाने से पसीने की दुर्गंध से राहत मिलती है। पाउडर बगल व अन्य जोड़ों वाले स्थानों पर अवश्य लगाएं। दिन में कई बार ठंडे पानी से चेहरा व हाथपैर धोने से ताजगी का एहसास बना रहता है। नहाने के बाद धुले कपड़े ही पहनने चाहिए। गरमियों में सूती व ढीलेढाले वस्त्र पहनें।
गंधाती कामकाजी महिलाएं
दिनभर घर के कामकाज में जुटी महिलाओं के हाथों, कपड़ों और शरीर से भी अजीब तरह की गंध आती है। अधिकतर महिलाएं रसोई में काम करते हुए बारबार अपने हाथ अपनी साड़ी के पल्लू से ही पोंछती रहती हैं जिस से मिर्चमसाले, लहसुनप्याज, घीतेल की मिलीजुली दुर्गंध उन के शरीर व कपड़ों में बस जाती है। गरमी में रसोई में काम करते समय अधिकतर महिलाएं पसीने से नहा जाती हैं, इस से भी उन के शरीर से दुर्गंध आने लगती है। इस से बचने के लिए रसोई में हाथ पोंछने के लिए साफ तौलिया रखें। रसोई के काम से निबट कर नहाएं या मुंहहाथ धो कर कपड़े ही बदल लें और शयनकक्ष की तरफ रुख करते समय अपना मनपसंद परफ्यूम लगाएं।
प्रणय में बाधक तेल की दुर्गंध
बालों को स्वस्थ रखने के लिए उन पर तेल की मालिश करनी बहुत जरूरी है। इस से बालों की खुश्की दूर होने के साथसाथ उन्हें पोषण भी मिलता है। सप्ताह में 1 या 2 बार रात में बालों की जड़ों में तेल की मालिश कर के उन्हें रातभर के लिए वैसे ही छोड़ दें। दूसरे दिन अपने मनपसंद शैंपू से उन्हें धो डालें। इस से आप के बाल स्वस्थ, सुंदर व चमकदार बने रहेंगे। कुछ लोगों की आदत रोज नहा कर बालों में तेल डालने की होती है। वे बालों में किसी भी तरह का तेल डालने से नहीं हिचकते हैं। सिर में तेल की अधिकता से बाल चीकट व चिपचिपे हो जाते हैं। इस से बालों में मैल की परत जमने के साथसाथ रूसी भी हो जाती है। रूसी एक तरह का फंगल संक्रमण है, जो बालों को बहुत हानि पहुंचाता है। इस से बाल कमजोर हो कर टूटने लगते हैं। गंदे, चीकट व रूसीयुक्त बालों से अकसर बहुत ही अप्रिय दुर्गंध आती है, जिसे झेलना दूसरों के लिए मुश्किल हो जाता है। बालों की दुर्गंध से बचने और उन को स्वस्थ रखने के लिए एकमात्र उपाय यह है कि तेल का प्रयोग रोज न करें, हमेशा अच्छी कंपनी का सुगंधित तेल लगाएं, गुनगुने पानी एवं अपने मनपसंद शैंपू से सप्ताह में 2-3 बार बालों को अच्छे से साफ करें, धूलभरे स्थानों पर जाने के बाद शैंपू अवश्य करें।
पैरों की अनचाही दुर्गंध
औफिस में कामकाज करने वाले व्यक्ति, जो दिनभर जूतेमोजे पहने रहते हैं, के पैरों से अनचाही दुर्गंध आती है। यह दुर्गंध इतनी अप्रिय होती है कि इस को बरदाश्त करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सारे दिन जूतेमोजे पहने रहने के कारण पैरों तक ताजी हवा नहीं पहुंच पाती है, जिस से वे पसीजने लगते हैं। पैरों में अधिक समय तक नमी रहने व ताजी हवा न मिल पाने के कारण वहां एक तरह का बैक्टीरिया पनपने लगता है, जिस से पैरों में दुर्गंध आने लगती है। इस के अलावा अधिक समय तक पैरों में नमी बने रहने पर पैरों की उंगलियों के बीच व तलवों में फंगल इन्फैक्शन हो जाता है। फंगल इन्फैक्शन के कारण पैरों के नाखून भी प्रभावित होते हैं। सर्दी के दिनों में या लगातार भीगते रहने के कारण एड़ी व तलवों की त्वचा प्रभावित होती है। इस की लगातार उपेक्षा करने से एड़ी की मोटी त्वचा में भी दरारें पड़ने लगती हैं और ये दरारें गहरी हो कर दुखदाई हो जाती हैं।
इन में बहुत अधिक दर्द व जलन होने लगती है। तलवों की इस स्थिति को बिवाई फटना कहते हैं। यह रोग बढ़तेबढ़ते इतना दुखदाई हो जाता है कि जमीन पर पैर रखने पर भी तकलीफ होती है। कभीकभी इन बिवाइयों में इन्फैक्शन हो कर पस पड़ जाता है। इस से भी पैरों में बदबू आने लगती है। बरसात के दिनों में पैरों को भीगने न दें और न ही कीचड़ और गंदगी से हो कर निकलें। अगर कीचड़ में जाना ही पड़ जाए तो वहां से निकल कर पैरों को ऐंटीसैप्टिक लिक्विड मिले गुनगुने पानी से ठीक से धो कर सूखे मुलायम तौलिए से भलीभांति पोंछ लें, नमी बिलकुल भी न रहने दें। नमी रहने से फंगल संक्रमण होने का भय रहता है। बरसात में नाखूनों व कटीफटी एड़ियों में कीचड़ से संक्रमण न पैदा हो इस के लिए एड़ियों की कटी हुई त्वचा को ठीक से साफ करते रहें और हर सप्ताह नाखून काटें।
समयसमय पर पैरों की हलकी मालिश करते रहें ताकि रक्तसंचार दुरुस्त रहे। औफिस के अलावा चप्पलों का प्रयोग करें ताकि पैरों को हवा मिलती रहे और वे चिपचिपाएं न। पैरों में किसी भी तरह का इन्फैक्शन होने पर चिकित्सक से राय ले कर उस का उचित उपचार करें। अपने तन को साफ रख कर कोई भी न सिर्फ खुश रहते हुए दूसरों को आकर्षित करता है व उन से प्रेम व सम्मान पाता है बल्कि साफसफाई के नतीजे में उस के व्यवहार में आए अच्छे बदलाव से पूरे समाज में उसे प्रशंसा भी मिलती है।
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