कोरोना की तीसरी लहर
-डा. वरिंदर भाटिया-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
भारत में कोरोना के प्रतिदिन होने वाले संक्रमण के मामलों में लगातार कमी आ रही है। इसके बावजूद लोगों को कोरोना की तीसरी लहर का डर सता रहा है। खासकर डेल्टा प्लस वेरियंट के ज्यादा घातक होने और तेजी से लोगों को संक्रमित करने की रिपोर्ट से लोग डरे हुए हैं। तीसरी लहर को लेकर रोज आने वाले नए दावे भी चिंता बढ़ा रहे हैं। अब ज्यादातर भारतीय राज्यों में लॉकडाउन भी खोला जा रहा है और जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश हो रही है। और लोगों ने मामले घटने के साथ ही एक बार फिर से लापरवाही करते हुए सामाजिक दूरी का पालन करना और मास्क लगाना बंद कर दिया है। नीति आयोग ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में जारी की गई कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के बारे में चेतावनी तीसरी लहर के संभावित प्रभाव की तरफ इशारा कर रही है। आंकड़े कह रहे हैं कि दुनिया तीसरी लहर की ओर बढ़ रही है और यह एक सच्चाई है। स्पेन में कोरोना के साप्ताहिक मामलों में 64 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा नीदरलैंड में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। थाईलैंड में लंबे समय से स्थिति स्थिर थी, लेकिन अब यहां भी तेजी से नए मामले सामने आ रहे हैं।
अफ्रीका ने भी कोविड-19 मामलों में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। इसके अलावा म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में भी अब अभूतपूर्व उछाल देखने को मिल रहा है। देश के राज्यों के साथ संवाद करते हुए और विशेषज्ञों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कहा है कि लंबे समय तक लगातार मामले बढ़ने से कोरोना के वायरस में ‘म्यूटेशन’ की आशंका बढ़ जाती है और स्वरूप बदलने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए तीसरी लहर को रोकने के लिए कोरोना के खिलाफ प्रभावी कदम उठाया जाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि बहुत जरूरी है कि जिन राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उन्हें सक्रियता से काम काम करने की आवश्यकता है और इसके जरिए तीसरी लहर की किसी भी आशंका को रोकना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की ‘आर’ रेट में लगातार इजाफा हो रहा है। ‘आर’ रेट क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है? इसे हमें समझना होगा। ‘आर’ किसी भी संक्रामक रोग के लिए ‘प्रभावी प्रजनन’ संख्या को दिखाता है। इसे आसान भाषा में इस तरह समझा जा सकता है कि कोरोना से संक्रमित कोई एक व्यक्ति कुल कितने लोगों में औसतन संक्रमण फैला सकता है।
यानी आर रेट जितनी ज्यादा होगी, कोरोना फैलने का उतना ज्यादा खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी राज्य में आर रेट 0.89 है तो इसका मतलब ये है कि वहां एक संक्रमित व्यक्ति एक से कम लोग में कोरोना फैला सकता है। या फिर ये कह सकते हैं कि हर 10 लोग कम से कम 9 लोगों को संक्रमित कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आर रेट एक से कम होनी चाहिए। एक से ज्यादा होने पर लहर आने का खतरा बढ़ जाता है। अब किसी जगह आर रेट 1 से ज्यादा है तो एक व्यक्ति 12 से 14 लोगों में कोरोना फैला सकता है। चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस के शोधकर्ताओं ने इस सप्ताह की शुरुआत में बताया कि कुछ राज्यों में आर दर में इजाफा देखा जा रहा है। उनके द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि महाराष्ट्र में आर दर मई के मध्य में 0.79 से बढ़कर जून के अंत तक 0.89 हो गई है। केरल में तो ये दर 1 को पार कर गई है। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बढ़ती आर दरें भी एक चिंता का विषय है। मणिपुर ने कहा कि यहां रेट 1.0 की सीमा को पार कर गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आर रेट पिछले सप्ताह 0.87 और लगभग एक महीने पहले 0.74 से लगातार वृद्धि के बाद अब 0.95 (7 दिनों का औसत) है। दुनियाभर में इन दिनों कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने तबाही मचा रखी है। ये सबसे पहले भारत में मिला था और अब ये दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल रहा है। कोरोना के दूसरे वेरिएंट के मुकाबले ये तेजी से फैल रहा है। ब्रिटेन में शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अगर सावधानियां नहीं बरती गई तो फिर आर रेट 7 तक पहुंच सकती है।
इससे पहले कोरोना की महामारी के दौरान ये दर 3 पर थी। एक प्रमुख मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार तीसरी लहर के जोखिम अब और भी ज्यादा वास्तविक हो गए हैं। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी होकर प्रति दिन 3.4 मिलियन खुराक से कम हो गई है, जबकि पहले चार मिलियन खुराक के साथ-साथ भारत में रोज आने वाले मामले नए मामलों में 45 प्रतिशत केस ग्रामीण इलाकों से आ रहे हैं। देशभर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संकेत मिलने लगे हैं। कई एक्सपर्ट्स और सरकार लोगों को बार-बार चेतावनी दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में लोग मानने को तैयार नहीं हैं। पर्यटन स्थलों पर तो कोरोना नियमों की खुलेआम लगातार धज्जियां उड़ाई गई हैं। कई राज्यों से जुड़े आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि देश में जल्द तीसरी लहर आ सकती है। कोरोना की दूसरी लहर का कहर कम होना और लॉकडाउन खुलते ही भीड़ का बढ़ना चिंता जता रहा है। सरकार ने भी कहा है कि अगले 100 से 125 दिन काफी क्रिटिकल हैं। अगली लहर का अनुमान तीन बातों के आधार पर लगाया जाता है। पहली यह कि जिन्हें संक्रमण हो चुका है या वैक्सीन लग चुकी है, उनकी वायरस प्रतिरोधक क्षमता कितने दिनों में कम होगी और उन्हें फिर संक्रमण होने का डर होगा। दूसरी, वायरस के जो नए खतरनाक वेरियंट फैल रहे हैं, क्या वे पहले से मौजूद प्रतिरोधक क्षमता के बावजूद लोगों को संक्रमित करेंगे? और तीसरा, लॉकडाउन में जो छूट दी गई है और लोग जैसी लापरवाही कर रहे हैं, क्या इससे संक्रमण के नए अवसर पैदा होंगे।
‘भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की संभावना’ नाम की इस स्टडी को ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया है। इसके मुताबिक भारत में कोरोना की एक बड़ी तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन यह दूसरी लहर जितनी खतरनाक नहीं होगी। इस स्टडी में कहा गया है कि कम होती प्रतिरोधक क्षमता या बदला हुआ वेरियंट एक घातक तीसरी कोरोना लहर लाने में नाकाम रहेगा, जब तक पहले वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों की प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह खत्म न हो जाए, कोरोना की तीसरी लहर देश में आएगी, इस बारे यकीनी तौर पर कहना मुश्किल होगा। हम याद रखें कि इलाज से परहेज बेहतर होता है। संक्षेप में कोविड-19 से जुड़े प्रतिदिन के मामलों में धीमी कमी देश के लिए यह संकेत है कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यदि हम लोग कोविड से जुड़े नियमों का अनुपालन नहीं करते तो स्थिति बिगड़ सकती है और कोरोना की संभावित तीसरी लहर देश के लिए फिर कठिन स्थिति पैदा कर सकती है। यह एक कड़वा सच है कि दुनिया में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ चुकी है और भारत में ऐसा न हो, इसके लिए हम सभी को जुटना होगा। इसके अलावा लोगों की भीड़ जुटने और मास्क लगाने जैसे बुनियादी नियमों की अनदेखी भी जारी है और तीसरी लहर की चेतावनी को मौसम की भविष्यवाणी की तरह नहीं लिया जाना चाहिए।
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