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लेख - December 6, 2021

भारत में न्याय व्यवस्था ताकतवरों के हाथ

-सनत कुमार जैन-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

भारत में न्यायिक व्यवस्था चरमरा गई है । वर्तमान न्याय-व्यवस्था का लाभ अमीरों को मिल रहा है। गरीबों एवं मध्यवर्गीयों के लिए न्याय व्यवस्था जीते जी सजा के समान है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि 50 फीसदी से अधिक मामलों में सरकार भी पार्टी है । देश के विभिन्न न्यायालयों जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, जिला न्यायालयों में लगभग 4 करोड़ 60 लाख मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं। लाखों ऐसे मामले लंबित हैं, जिनमें तीसरी पीढ़ी का मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न न्यायालयों में 5191 न्यायाधीशों के पद खाली पड़े है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में 403 न्यायाधीशों के पद वर्षो से रिक्त् पड़े है। न्याय व्यवस्था की बदहाली और कमजोरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सप्रीम कोर्ट् का काले जियम सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी नहीं करा पा रहा है।
पिछले 3 दशकों में सरकारों द्वारा जिस तरह के नियम एवं कानून बनाने जा रहे है, उससे मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। न्यायपालिका में मध्यम एवं गरीब वर्गो को न्याय नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण वह गुंडागर्दी के शिकार हो रहे हैं । न्याय पाने के लिए वह गुंडों एवं राजनेताओं के चक्कर लगाते हैं। भारतीय कानून को निर्बलों के लिए न्याय नहीं अन्याय के रुप में आम जनता भोगने विवश है।
वहीं बड़े-बड़े उद्योगपितयों एवं राजनेताओं द्वारा दायर प्रकरणों में त्वरित सुनवाई होती है। उन्हें सुविधानुसार न्याय मिल जाता है। बड़े-बड़े वकील सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में सक्षम वर्ग को लाभ दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा देते है । समरथ को नहीं दोष गुसाई की तर्ज पर भारतीय न्याय व्यवस्था आर्थिक एवं राजनैतिक आय से समृद्ध लोगों के लिये है। आर्थिक एवं राजनैतिक आय से शक्तिशाली वर्ग अपने फायदे के लिए गरीब एवं मध्यवर्गीय परिवारों को झूठे मुकदमों एवं कानून की आड़ में उनकी सम्पतियों को छीनने का काम कर रहे है। भारतीय न्याय व्यवस्था को लेकर आम आदमी का विश्वास खत्म होता जा रहा है। वहीं हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट भी यह कहने लगी है कि सरकारें और उनके अधिकारी कोर्ट से आदेशों का कियान्वयन नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति काफी चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वह संविधान प्रदत्त नागरिकों के भूल अधिकारों को बनाए रखने के लिए अधिकारों का प्रयोग करें।

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