Home लेख संक्रमण का आंकड़ा
लेख - January 20, 2022

संक्रमण का आंकड़ा

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

संक्रमण के प्रसार की बढ़ती रफ्तार बता रही है कि हम बड़े खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। पर अब ज्यादा बड़ा संकट यह खड़ा हो गया है कि कार्यस्थलों पर सामूहिक संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना व्यवहार के उपायों जैसे मास्क लगाने, सुरक्षित दूरी रखने और बार-बार हाथ धोने के अलावा सबसे ज्यादा जोर टीकाकरण पर रहा है। हालांकि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए टीकाकरण को अनिवार्य बनाया भी। लेकिन ऐसे कर्मचारी अभी कम नहीं हैं जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। कई राज्यों में यह स्थिति काफी खराब है। इसलिए तीसरी लहर को देखते हुए सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हर कर्मचारी के लिए टीकाकरण अनिवार्य करें, खासतौर से पुलिस बल और उनके परिवारों को। दफ्तरों में मास्क और सुरक्षित दूरी के पालन को लेकर सख्ती हो। कर्मचारियों की नियमित जांच हो। संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाया जाए। हालांकि यह कवायद तभी संभव और कारगर होगी, जब लोग भी इसे अपनी जिम्मेदारी समझेंगे। लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम का एक साल पूरा हो चुका है। सरकार का दावा है कि इस एक साल में एक सौ सत्तावन करोड़ से ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। जाहिर है, आबादी के बड़े हिस्से को टीका लग
गया है। आकंड़ों के हिसाब से देश की तिरानवे फीसद आबादी को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। करीब सत्तर फीसद लोगों को दोनों खुराकें लग चुकी है। इससे इतना तो सुनिश्चित हुआ कि लोगों को तात्कालिक तौर पर सुरक्षा कवच मिल गया और जान जोखिम में पड़ने से बची। इसमें तो कोई संदेह नहीं कि महामारी से जंग में टीका निर्णायक साबित हुआ है। तीसरी लहर के दौरान यह बात सामने आई भी है कि इस बार मौतों के जितने मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से अधिकतर वे लोग थे जिन्होंने टीके की एक भी खुराक नहीं ली थी। हालांकि ऐसे भी मामले आते रहे हैं कि टीकाकरण के बावजूद लोग नहीं बच सके। पर ऐसे मामलों की संख्या कम ही है और जांच में पता चला कि ऐसे मरीज किसी न किसी गंभीर बीमारी से पहले से ग्रस्त थे। पर इसमें तो कोई संदेह नहीं कि टीकाकरण ने करोड़ों लोगों को सुरक्षा के घेरे में ला दिया। भारत जैसे विशाल देश में सफल टीकाकरण कोई आसान काम भी नहीं है। इतनी बड़ी आबादी को जल्द से जल्द टीका लगाने के लिए जिस युद्धस्तर पर कवायद शुरू की गई, वह अपने में महाभियान ही है। सबसे पहले 16 जनवरी 2021 से स्वास्थ्यकर्मियों को टीका देने का काम शुरू हुआ था क्योंकि अस्पतालों में संक्रमित मरीजों के बीच रह कर काम यही लोग कर रहे थे। हालांकि सरकार का लक्ष्य 31 दिसंबर 2021 तक पूरी आबादी के टीकाकरण था। लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। कहने को भारत दुनिया के बड़े टीका निर्माता देशों में है, पर शुरू में कई मुश्किलें तो झेलनी ही पड़ीं। कच्चे माल की कमी और टीका निर्माता कंपनियों के समक्ष पैसे कमी जैसे कारण तो रहे ही, इतनी बड़ी आबादी के लिए टीकों का उत्पादन और फिर देश के कोने-कोने तक टीके पहुंचाने की चुनौती भी मामूली नहीं थी। केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल का अभाव तथा कुप्रबंधन जैसे संकट भी कम नहीं रहे। कई राज्यों में टीकाकरण की रफ्तार अभी भी संतोषजनक नहीं है। इसलिए राज्यों को अब फुर्ती दिखानी होगी। घर-घर टीकाकरण जैसे अभियान पर जोर देना होगा। टीकाकरण अभियान को कामयाब बनाने के लिए नागरिकों को भी समान रूप से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। अभी भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जो टीका लगवाने से बच रहे हैं। टीके को लेकर लोगों के मन में भ्रम और भय बना हुआ है। इसे दूर करना होगा। एक साल के टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान आई दिक्कतों से हमें सीख लेने की जरूरत है, तभी इस अभियान को और सशक्त बनाया जा सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Check Also

इजराइल को आत्मरक्षा का अधिकार है लेकिन इसे किया कैसे जाता है, यह मायने रखता है: हैरिस

वाशिंगटन, 26 जुलाई (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने इजराइल…