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लेख - January 28, 2022

बैकफुट पर कांग्रेस

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

उत्तर प्रदेश में चुनाव से कई महीने पहले ही कांग्रेस एक्टिव हो गई थी। हाथरस और लखीमपुर खीरी की घटनाओं में प्रियंका गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस काफी एक्टिव दिखी थी और माना जा रहा था कि इस बार कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। बेटियों के प्रति रुझान रहा हो या जनहित के मुद्दों पर आक्रामक रवैया इन सबसे लग रहा था कि इस बार कांग्रेस सत्ता तो नहीं लेकिन पुराने परिणामों को पीछे छोड़ देगी। मगर 2022 की शुरुआत कांग्रेस के लिए कुछ खास नहीं रही। पिछले साल तक एक्टिव मोड में दिख रही कांग्रेस चुनावी साल में फिर पुरानी स्थिति में चली गई है। नए साल की शुरुआत ही उसके लिए खराब रही है। जनवरी महीने में अब तक करीब 10 बड़े चेहरे कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। इनमें से एक बड़ा नाम आरपीएन सिंह का भी है, जिन्होंने बीते मंगलवार को कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। एक तरफ पार्टी यूपी में अपनी जगह बनाने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो वहीं इन नेताओं के एग्जिट ने उसे करारा झटका दिया है। कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन फिलहाल अराधना मिश्रा मोना और अजय कुमार लल्लू ही बचे हैं बाकि 5 अन्य विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है। इस साल की शुरुआत से अब तक करीब 10 बड़े चेहरे कांग्रेस छोड़ चुके हैं। इनमें से कुछ लोगों के पास अहम जिम्मेदारी थी। जैसे आरपीएन सिंह झारखंड के प्रभारी महासचिव थे। इसके अलावा इमरान मसूद यूपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव थे। पार्टी छोडने वाले नेताओं में सुप्रिया एरोन और हैदर अली खान भी बड़े चेहरे रहे हैं। प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में खुद को चेहरे के तौर पर भी पेश किया है, लेकिन यह भी नेताओं रोकने के लिए काफी नहीं रहा है। इमरान मसूद ने पार्टी छोड़ते समय लीडरशिप के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कह गए कि वह फिलहाल भाजपा से लडने में सक्षम नहीं है। सहारनपुर में कांग्रेस के बड़े चेहरे रहे इमरान मसूद के एग्जिट से कांग्रेस ने एक तरह से जिले में अपनी साख खो दी है। इमरान मसूद के बाद बरेली की पूर्व मेयर सुप्रिया एरोन ने भी पार्टी छोड़ दी और सपा में शामिल हो गईं। सुप्रिया के साथ उनके पति प्रवीन सिंह एरोन भी सपा में शामिल हुए हैं। यहां तक कि उन्हें तो पार्टी ने टिकट भी दे दिया था, लेकिन वह मानती हैं कि भाजपा के मुकाबला सपा से लडने पर उनकी जीत की संभावना अधिक होगी। यही नहीं रामपुर के युवा नेता हैदर अली खान अब अपना दल में शामिल हो गए हैं। वह भी स्वार विधानसभा से टिकट मिलने के बाद पार्टी छोड़कर चले गए। यही नहीं उनके पिता और पूर्व विधायक रामपुर सीट से ही आजम खान के मुकाबले चुनाव लड़ रहे हैं। यही नहीं यूपी के पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के पोते ललितेश पति त्रिपाठी भी पार्टी छोड़ चुके हैं। वह टीएमसी का हिस्सा बने हैं। वहीं कांग्रेस की रायबरेली सीट से विधायक अदिति सिंह अब भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरी हैं। इसके अलावा सहारनपुर के ही नरेश सैनी भाजपा में चले गए हैं। मसूद अख्तर सपा में चले गए और रायबरेली की ही एक सीट से विधायक राकेश सिंह अब भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी नजर आ रही है। इस तरह से लोगों का जाना शायद इस बात का संकेत है कि नेताओं को महसूस हुआ है कि आने वाले दिनों में यूपी में कांग्रेस की संभावनाएं धूमिल हैं।

 

 

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