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लेख - March 7, 2022

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष रू पुरुष प्रधान क्षेत्र में सीमा ने बनाया अपना मुक़ाम

.अर्चना किशोर.

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

इंद्रा नूईए नीता अंबानीए राधिका अग्रवालए वाणी कोला ये ऐसी शख्सियत हैंए जो किसी परिचय की मोहताज नहीं हैंण् हाल के दशकों में भारत में महिला उद्यमियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ हैण् देश में लगभग 13ण्76 प्रतिशत उद्यमी महिलाएं हैं और 6 प्रतिशत महिलाएं भारतीय स्टार्टअप की संस्थापिका भी हैंण् लेकिन बढ़ोत्तरी के बाद भी यह आंकड़े बहुत कम हैंण् अमेरिकन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार यूएस में लगभग 13 मिलियन महिला अपना स्वयं का व्यवसाय चलाती हैं अथवा संभालती हैंण् यह आंकड़ा यूएस में सभी कंपनियों के 42 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता हैए अर्थात् वहां 10 में से 4 महिलाएं किसी न किसी व्यवसाय की मालिक हैंए जो सालाना लगभग 1ण्8 ट्रिलियन डॉलर का व्यवसाय में योगदान हैण् भारत की महिलाएं भी उद्योग के क्षेत्र में अपनी कामयाबी दर्ज करा रही हैंए लेकिन यह आंकड़ा उम्मीद से अब भी कम हैण् बड़े आंकड़े तक पहुंचने के लिए छोटे शहरों की महिलाओं को भी आगे आना होगाण् व्यापार करना यहां की महिलाओं के लिए अब भी थोड़ा चुनौतीपूर्ण है लेकिन नामुमकिन नहीं हैण् बिहार के छपरा की रहने वाली सीमा जयसवाल इसका एक उदाहरण हैंण् सीमा एक महिला उद्यमी हैंण् देश के लिए भले ही यह जाना माना नाम ना होए लेकिन छपरा शहर के लिए वह अनजान नहीं हैंण्

सीमा जयसवाल का जन्म 26 नवंबर 1977 को मुजफ्फरपुर जिला स्थित अमनौर प्रखंड के एक मध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार में हुआ हैण् इन्हें माता.पिता के साथ.साथ चाचा और बुआ का भी प्यार मिलाण् साल 2001 में सीमा का विवाह छपरा शहर के कटहरी बाग निवासी स्वऽ निर्मल जयसवाल के पुत्र निलेश कुमार जयसवाल श्अतुलश् से हुआण् उस वक्त निलेश के पिताजी का शहर के साहेबगंज बाजार में छोटी सी दुकान थीए जिसका नाम लिबास थाण् साल 2004 में पारिवारिक बंटवारे के बाद सीमा और निलेश के हिस्से में दुकान आईण् उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उस छोटी सी दुकान से व्यापार का विस्तार किया और साल 2014 में श्लिबास मार्टश् की शुरुआत कीण् इस दौरान उन्होंने अब तक जो भी रणनीतियां बनाई थीए उसमें वे सफल होते गएण् लेकिन साल 2014 में मार्ट खुलने के बाद इतना बड़ा व्यापार उनके अकेले के बस का नहीं लग रहा था क्योंकि काम काफी बढ़ने लगा थाण् जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी सीमा से मदद मांगी और पत्नी ने भी पति का पूरा साथ दियाण्

सीमा कहती हैं कि मैं पूर्ण रूप से ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी थीण् मुझे बैंक और रुपये.पैसे की अधिक जानकारी नहीं थीण् अनजान लोगों से मिलना.जुलना भी बहुत कम होता थाण् कहते हैं नए छोटे बच्चे का हाथ पकड़ कर उसे चलना सिखाया जाता हैए लेकिन जब तक हम उसका हाथ नहीं छोड़ेंगेए वह दौड़ना नहीं सीखेंगेण् मेरे साथ भी ऐसा ही हुआण् व्यापार के क्षेत्र में आना मेरी ज़िंदगी का नया मोड़ थाए तब मेरे पति ने मुझे बहुत सपोर्ट कियाण् मुझे हर एक चीज के बारे में बारीकी से समझायाण् अब सुबह से लेकर रात तक पूरा ध्यान बिजनेस पर ही रहता हैण् ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि दुकान और बिजनेस में मेरी आत्मा बस गई हैण् शुरुआती दिनों के बारे में बताते हुए सीमा कहती हैं कि लाइफ में एकदम से कुछ नया होता हैए तो झिझक महसूस होती हैण् मुझे भी घर से ज़्यादा निकलने की आदत नहीं थीण् अनजान लोगों के घर पर आने पर हम बहुएं अंदर चले जाते थेण् ऐसे में कस्टमर्स और डिलीवरी को डील करना थोड़ा मुश्किल होता थाण् शुरुआती दो से तीन महीने दिक्कत हुईए फिर उसके बाद आदत हो गईण्

छोटे शहर में एक बहु का घर से निकलकर कारोबार संभालना मामूली बात नहीं थीण् निलेश के दोस्तों और कई रिश्तेदारों ने ताना कसा कि घर की लेडीज को दुकान पर बैठा रहा हैण् घर की जगह वह दुकान संभाल रही हैण् लेकिन पति के साथ साथ ससुर निर्मल जयसवाल ने भी सीमा का भरपूर साथ दियाण् सास ससुर की तरफ से सीमा को पूरी छूट थीण् वह दिन का आधा समय घर को देती थी और आधा बिजनेस कोण् खाना पकाना और बच्चों को पढ़ानाए यह दोनों काम वह खुद ही करती हैंण् इस संबंध में सीमा के पति निलेश कहते हैं कि छपरा में मुझे कोई बड़ा बिजनेस करने का मन थाण् शहर का सबसे पहला मार्ट मैंने ही श्लिबास मार्टश् नाम से खोला थाण् शुरुआत के दो साल बाद बिजनेस में बहुत उतार.चढ़ाव आने लगे और चीज़ों को संभालने में मुश्किल होने लगीण् उस समय मेरी वाइफ ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और घर के साथ व्यवसाय भी संभालाण् एक वक्त ऐसा भी आयाए जब मेरे भाईए मैनेजर और स्टाफ ने मेरा साथ नहीं दिया तब दिल में आया कि मार्ट बेच दूंण् उस वक्त सीमा ने समझाया कि मुझे क्या करना चाहिएए कैसे किसी स्टाफ को समझाना है और बिना हारे बिजनेस में आगे बढ़ना हैण् यह सब मेरी वाइफ मुझे समझाती हैए तब मैं आज हिम्मत के साथ बिजनेस कर पा रहा हूं और आगे बढ़ रहा हूंण्

सीमा कहती हैं कि मैंने बिजनेस से बहुत कुछ सीखा है और यह भी जाना है कि मुश्किल समय में हमें कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिएण् जब तक समस्या को समस्या समझेंगेए वह कठिन मालूम होगाण् अगर जिम्मेदारी समझ कर करेंगे तो राह आसान हो जाएगी और समस्या भी चुटकियों में हल हो जाएगीण् इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सीमा कहती हैं कि मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की और न ही मेरे पास कोई प्रोफेशनल डिग्री हैए फिर भी मैंने हार नहीं मानी और न ही समाज के संकुचित और कुंठित विचारों के आगे बेबस हुईण् वह पूरे आत्मविश्वास के साथ महिलाओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि अगर मैं कर सकती हूंए तो आप क्यों नहींघ्

 

 

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