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लेख - April 10, 2023

कांग्रेस के शुभचिंतक कांग्रेस से बाहर होते जा रहे है

-डॉ. भरत मिश्र प्राची-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

आप की अदालत में सदा से कांग्रेस के शुभचिंतक रहे पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नवी आजाद ने जो कांग्रेस को लेकर तथ्य उजागर किये है, उसपर कांग्रेस के हित में वर्तमान कांग्रेस कमेटी को अवश्य विचार करना चाहिए। आपकी अदालत में गुलाम नवी आजाद ने साफ तौर पर कहा कि वे बाहर रहकर भी चाहते है कि कांग्रेस आगे बढ़े, पर कांग्रेस के जो भीतर है उनकी सोच एवं कार्यशैली की वजह से कांग्रेस की सीट दिन पर दिन कम होती जा रही है। एक-एक कर कांग्रेस के शुभचिंतक कांग्रेस से बाहर होते जा रहे है, जो चिंताजनक है। राहुल गांधी को उपाध्यक्ष से लेकर अध्य़क्ष बनाने तक मेरी भूमिका रही है पर वे आधे मे हीं अध्यक्ष पद छोड दिये। पूर्व प्रधान मंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी 22-22 घंटे काम करते रहे पर राहुल गांधी पार्टी के लिये उतना समय नहीं दे पाते जितना पार्टी के उत्थान के लिये चाहिए। केवल आलोचना करने से एवं एक ही चीज को बार-बार उठाने से जनमत नहीं मिल सकता। प्रियंका को बेटी की तरह माना हूं।

राहुल गांधी राजीव गांधी के बेटे है, स्वस्थ रहे, लम्बी उम्र पायें पर जिस ओर रूचि नहीं है उधर कदम नहीं बढ़ाये। चुनाव में प्रत्याशियों का चयन ग्रास रूट से होना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है, इसका फैसला दिल्ली से होना हित मे कदापि नहीं हो सकता। मैंने हर समय चाहा कि कांग्रेस संगठन ग्रास रूट से मजबूत हो। कांग्रेस में मेरे मंत्री बनने के प्रारम्भ से ही बताया गया कि विदेश जाने पर किसी के सामने कहीं भी अपने देश, देशवासियों एवं संविधान, सरकार, संस्कृति की कमी की चर्चा, निंदा नहीं करना चाहिए, जहां दोस्त और दुश्मन दोनों होते है। जो हमारे कथन का मखोल उडाकर देश को नुकसान पहुंचा सकते है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र के मामले में आजाद ने साफ तौर पर कहा कि रेस के घोड़े कभी चार माह पूर्व नहीं बदले जाते, जिसका परिणाम सभी के सामने रहा। राजनीति से जुड़े प्रश्नों के आलावे परिवार से जुड़े पूछे गये प्रश्नों का उतर नहीं देते हुये आजाद ने कुशल राजनीतिज्ञ का परिचय दिया।

इस तरह के परिपक्व, कुशल राजनीतिज्ञ, शुभचिंतक कांग्रेस नेता को अपने अलग कर कांग्रेस ने निश्चित तौर पर बहुत कुछ खोया है जो आज भी कांग्रेस से बाहर रहकर कांग्रेस के हित की बात सोचते है। इस तरह के शुभचितक कभी बेवफा नहीं हो सकते। कै. अमरेन्द्र के कांग्रेस से बाहर होते ही पंजाब जहां कांग्रेस सदा सत्ता पर विराजमान रही, सत्ता विहीन हो गई। आप जिसका कभी पंजाब में वजूद नहीं रहा, कांग्रेस का विकल्प बन सत्तासीन हो गइ्र्र। मघ्यप्रदेश में कांग्रेस से ज्योतिरा सिंधियां के बाहर जाते ही कांग्रेस की सरकार गिर गई, भाजपा की सरकार बन गइ्र्र। राजस्थान में कुशल राजनीतिज्ञ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चलते सरकार बची रही। दक्षिण भारत से कांगे्रस नेता के कांग्रेस छोड़ भाजपा में मिलने का क्रम जारी है। कर्नाटक विधान सभा चुनाव पर इस तरह के परिवेश का उल्टा असर पड़ सकता है। कांग्रेस के एक एक कर नेता कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थामते जा रहे है। इस क्रम को रोका जाना कांग्रेस हित में बहुत जरूरी है। कांग्रेस छोड़ने के कारणों पर मंथन होना चाहिए। राजस्थान में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के प्रेस वार्ता में उठाये सवालों का हल कांग्रेस को ढूंढ़ना होगा। कांग्रेस का एक-एक नेता आज के समय के लिये कांग्रेस के लिये काफी महत्वपूर्ण है, इस तथ्य को समझना होगा।

 

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