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लेख - August 9, 2021

डिजिटल कारोबार में नई बढ़त

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

इन दिनों पूरी दुनिया में हाल ही में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) के द्वारा प्रकाशित डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 को पढ़ा जा रहा है। इस सर्वेक्षण में शामिल दुनिया की 143 अर्थव्यवस्थाओं के तहत व्यापार की पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत प्रावधान व सहयोग, कागज-रहित व्यापार एवं सीमा पार कागज रहित व्यापार जैसी मुख्य व्यवस्थाओं के मद्देनजर भारत ने 90.32 फीसदी अंक हासिल किए हैं। दो वर्ष पहले वर्ष 2019 में किए गए इस सर्वेक्षण में भारत को 78.49 फीसदी अंक मिले थे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा में कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत ने पिछले दो वर्षों में अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है। गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में भारत का समग्र स्कोर भी फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, नार्वे, फिनलैंड आदि कई देशों के मुकाबले अधिक पाया गया है। भारत ने पारदर्शिता सूचकांक के लिए 100 फीसदी और व्यापार में महिलाओं की भागीदारी संबंधी मामले में 66 फीसदी अंक हासिल किए हैं।

यह भी महत्त्वपूर्ण है कि डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा पर यूएनईएससीएपी रैंकिंग में सुधार के संदर्भ में भारत दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया क्षेत्र और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की तुलना में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश है। जहां भारत के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सीमा शुल्क ढांचे के तहत कोविड से संबंधित आयातों जैसे ऑक्सीजन से संबंधित उपकरण, जीवन रक्षक दवाएं, टीके आदि में तेजी लाने के विभिन्न प्रयास लाभदायक रहे हैं, वहीं केंद्रीय अप्रत्यक्ष करों के मामले में भी भारत के द्वारा फेसलेस, पेपरलेस और कांटैक्टलेस व्यवस्था के लिए उठाए गए उल्लेखनीय कदम भी यूएनईएससीएपी रैंकिंग में सुधार के लिए प्रभावी रहे हैं। चूंकि कोरोनाकाल के कारण देश और दुनिया की कारोबार गतिविधियां तेजी से ऑनलाइन हुई हैं, अतएव वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) और आउटसोर्सिंग को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिलने से भारत की डिजिटल कारोबार अहमियत बढ़ी है। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। चीन से मोहभंग होने के कारण भी भारत के डिजिटल कारोबार में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन एजुकेशन तथा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के डिजिटल होने से अमरीकी टेक कंपनियों सहित दुनिया की कई कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए निवेश के साथ आगे बढ़ी हैं।

इसके साथ-साथ अमरीका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागत और प्रतिभा के अलावा नई प्रोद्यौगिकी पर इनोवेशन और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते दुनिया की कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में डिजिटल कारोबार सुविधाएं बढ़ने और भारत के कारोबारी सुगमता में आगे बढ़ने का स्पष्ट संकेत वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रकाशित ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2020 से भी मिलता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत 190 देशों की सूची में 63वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत कारोबारी सुगमता की विश्व रैंकिंग में 14 स्थान की छलांग के साथ 63वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2019 में इस सूची में भारत 77वें स्थान पर था। विश्व बैंक ने भारत को कारोबार का माहौल सुधारने के मामले में 9वां सर्वश्रेष्ठ देश बताया है। विश्व बैंक के मुताबिक भारत ने जिन चार क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं वे हैंः एक- बिजेनस शुरू करना, दो- दिवालियापन का समाधान करना, तीन- सीमा पार व्यापार को बढ़ाना तथा चार- कंस्ट्रक्शन परमिट्स में तेजी लाना। इसमें कोई दो मत नहीं है कि डिजिटल एवं टिकाऊ कोराबार सुविधाओं पर आधारित भारत की मजबूत बुनियाद और बड़े बाजार की वजह से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से बढ़ा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक वर्ष 2020 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 25.4 फीसदी बढ़कर 64 अरब डालर तक पहुंच गया है। वर्ष 2019 में यह 51 अरब डालर था।

दुनिया में एफडीआई प्राप्त करने के मामले में भारत वर्ष 2019 में आठवें स्थान पर था, जो 2020 में पांचवें स्थान पर आ गया। निश्चित रूप से देश में देश के उद्योग-कारोबार में एफडीआई बढ़ने का एक बड़ा कारण सरकार के द्वारा उद्योग-कारोबार को डिजिटल और आसान बनाने के लिए किए गए कई ऐतिहासिक सुधार भी हैं। देश में बड़े टैक्स रिफॉर्म हुए हैं। जीएसटी लागू किए जाने की सार्थकता दिखाई दे रही हैं। कारपोरेट कर में बड़ी कमी की गई है और बड़े आयकर सुधार लागू किए गए हैं। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए गए हैं। पुराने व बेकार कानूनों को खत्म कर नए सरल कानूनों को लागू किए जाने और विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर सुधारों के दम पर निवेश के मामले में तेजी से डिजिटलीकरण की डगर पर बढ़ते हुए भारत को लेकर दुनिया का नजरिया बदला है। निश्चित रूप से डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार के मद्देनजर भारत लाभ की स्थिति में हैं। लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत नई डिजिटल की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल कारोबार की जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल कारोबार के दौर की और नई तकनीकी योग्यताओं के साथ एआई, क्लाउड कम्प्यूटिंग, मशीन लर्निंग एवं अन्य नए डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित किया जाना होगा। निःसंदेह देश में सरकार ने डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतिगत स्तर पर कई सराहनीय कदम उठाए हैं। लेकिन अभी इस दिशा में बहुआयामी प्रयासों की जरूरत बनी हुई है। डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर किया जाना होगा। डिजिटल भाषा से देश के अधिकांश लोगों को सरलतापूर्वक शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा।

चूंकि बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण जरूरत है, अतएव सभी दूरवर्ती क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त पहुंच बनाई जानी जरूरी है। अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के पास डिजिटल पेमेंट के तरीकों से भुगतान के लिए बैंक-खाता, इंटरनेट की सुविधा वाला मोबाइल फोन या क्रेडिट-डेबिट कार्ड की सुविधा नहीं है, अतएव ऐसी सुविधाएं बढ़ाने का अभियान जरूरी होगा। देश में डिजिटल कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में देश को आगे बढ़ाया जाना होगा। अब डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा के क्षेत्र और आगे बढ़ने के लिए कृषि, स्वास्थ्य और वेलनेस, टेलीमेडिसिन, शिक्षा और कौशल विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता से टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस बनाए जाने होंगे। भारत के स्टार्टअप के संस्थापकों को आईटी से संबंधित वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाने पर ध्यान देना होगा, जिससे डिजिटल कारोबार के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की जगह बनाई जा सकेगी। ऐसा होने पर हम उम्मीद करें कि आगामी दो वर्ष बाद प्रस्तुत होने वाले यूएनईएससीएपी के डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा सर्वेक्षण 2023 में भारत का प्रस्तुतीकरण बेहतर हो सकेगा और भारत की रैंकिंग और बढ़ सकेगी।

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