सदाशिव राव साठे: महापुरुषों की प्रतिमाओं के शिल्पी का जाना
-विवेक शुक्ल-
-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-
महात्मा गांधी की देश और राजधानी में संभवतः पहली आदमकद प्रतिमा राजधानी के चांदनी चैक स्थित टाउन हाल के बाहर 1952 में लगी थी। नौ फीट ऊंची वह प्रतिमा बनाई थी महान मूर्तिशिल्पी सदाशिव राव साठे ने। तब वह सिर्फ 28 साल के थे। इस मूर्ति में भाव और गति का कमाल का संगम देखने को मिलता है। इसे आप कुछ पल रुककर अवश्य देखते हैं। साठे जी ने ही गेटवे ऑफ इंडिया पर छत्रपति शिवाजी और ग्वालियर में रानी लक्ष्मी बाई की भी जीवंतप्रायः मूर्तियां बनाईं थीं। उन्होंने देश के महापुरुषों की अनेक अप्रतिम प्रतिमाएं बनाईं। जितनी देश में, उतनी ही विदेश में।
साठे जी ने एक बार कहा था कि उन्हें यकीन नहीं हुआ था, जब भारत सरकार ने उन्हें राजधानी में स्थापित होने वाली गांधी जी की प्रतिमा बनाने का जिम्मा सौंपा था। वह मानते थे कि उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति टाउन हाल के बाहर लगी गांधी जी की मूर्ति ही है। उन्हीं सदाशिव राव साठे का 30 अगस्त, सोमवार को मुंबई में निधन हो गया है। वह 95 साल के थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनके अनन्य प्रशंसकों में थे।
कला मर्मज्ञ जयंत सिंह तोमर कहते हैं कि साठे जी को देश के नायकों की ‘लार्जर देन लाइफ’ फौलादी प्रतिमाओं को चट्टान या पहाड़ के शीर्ष पर खड़ा देखना बहुत अच्छा लगता था, बनिस्बत किसी चारदीवारी के अंदर बनी इमारत में। वह काम अपनी शर्तों पर करते थे। वह खुद तय करते थे कि किसी शख्सियत की मूर्ति को किस तरह से बनाना है। एक बार काम शुरू करने के बाद वह उसमें दिन-रात जुट जाते थे।
गांधी जी की प्रतिमा बनाने के बाद सदाशिव राव साठे राजधानी के विभिन्न स्थानों पर लगी महापुरुषों की मूर्तियों की रचना करते रहे। कनॉट प्लेस से जो सड़क मिंटो रोड की तरफ जाती है, उसके नजदीक ही छत्रपति शिवाजी महाराज की वर्ष 1972 में आदमकद प्रतिमा की स्थापना करके दिल्ली ने भारत के वीर सपूत के प्रति अपने गहरे सम्मान के भाव को प्रदर्शित किया था। इस मूर्ति को भी साठे जी ने तैयार किया था।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की तिलक ब्रिज पर लगी 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी साठे ने ही तैयार की थी। उन्होंने ही राजधानी के सुभाष मैदान में स्थापित नेताजी सुभाषचंद्र बोस और उनके साथियों की लाजवाब आदमकद प्रतिमा बनाई थी। इसे पहले एडवर्ड पार्क कहा जाता था। इस आदमकदम मूर्ति का अनावरण 23 जनवरी, 1975 को उनके जन्म दिन पर साठे जी की उपस्थिति में तब के उप राष्ट्रपति बी.डी.जत्ती ने किया था। उनकी कला में एक देशज ठाठ दिखाई देता है। चित्रकला और मूर्तिकला, दोनों विषयों पर उनका समान अधिकार था। वह पहले आधुनिक मूर्तिकार थे, जिन्होंने कांसे पर भी काम किया। उन्हें देश उनकी बनाई शानदार प्रतिमाओं के माध्यम से याद करता रहेगा।
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