फोन टैपिंग मामला: तेलंगाना के पूर्व पुलिस अधिकारी को ‘आईक्लाउड’ पासवर्ड साझा करने का निर्देश
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तेलंगाना में विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख और फोन टैपिंग मामले में आरोपी टी. प्रभाकर राव को निर्देश दिया कि वह फोरेंसिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में अपने ‘आईक्लाउड’ खाते का पासवर्ड राज्य पुलिस को सौंपें।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने राव को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण भी दिया और उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर सहयोग करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राव के “सहयोग न करने” के कारण जांच आगे नहीं बढ़ रही है। मेहता ने आरोप लगाया कि राव ने अदालती आदेश के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉर्मेट किया और महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए।
मेहता ने कहा, “वह सिर्फ राजनेताओं के ही नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण लोगों के फोन भी इंटरसेप्ट कर रहे थे। अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के बाद उन्होंने डिवाइस को फॉर्मेट कर दिया। यह बिल्कुल नए डिवाइस जैसा हो गया है। यह मेरा अनुमान नहीं है। केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का यही कहना है।”
मेहता ने अदालत से कहा, “हमारा कहना है कि उनके पास बैकअप है, क्योंकि उन्होंने 15 हार्ड डिस्क खरीदी थीं। लेकिन उनका कहना है कि उनके पास कुछ भी नहीं है। वह इस अदालत से मिले अंतरिम संरक्षण के कारण सहयोग नहीं कर रहे हैं।”
राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डी.एस. नायडू ने आरोपों का पुरजोर खंडन किया और कहा कि राव जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
नायडू ने दलील दी कि जांच राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान ‘बाहरी लोगों, राजनेताओं, सांसदों और विधायकों’ को उनसे सवाल करने की अनुमति दी गई थी।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने तब टिप्पणी की, “यह कोई ‘तमाशा’ नहीं है। सांसद और विधायक कैसे आकर पूछताछ कर सकते हैं? वे दर्शक या जांच का हिस्सा नहीं हो सकते।” मेहता ने राव के आरोपों को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई 18 नवंबर को निर्धारित की गई है।
एसआईबी के एक निलंबित डीएसपी समेत चार पुलिस अधिकारियों को हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 के बाद से अलग-अलग समय गिरफ्तार किया है। उन पर पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुफिया जानकारी मिटाने और कथित तौर पर फोन टैपिंग का आरोप है।
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